लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
यह कविता प्रेरित करती है।
ReplyDeleteThanks Manojji,ye kavita hamesha meri prernashot rahi,aur is blog ko mein specially bachon key liye design karna chah rahi hun,apkey sujhav aur achey lekh v kaviatayen apekhit hai
ReplyDeleteप्रेरक कविता |आशा
ReplyDeleteThanks asha ji
ReplyDeletedhanyavaad is kavita ke liye... is kavita ne mere jeevan par bahut gahra asar kiya hai... aur isi kavita ke ne swargiya harivansh ji ko mere priya kaviyon mein sabse upar la khada kiya hai...
ReplyDeleteजी बिलकुल ये कविता ऐसी ही है,ब्लॉग में आने के लिए धन्यवाद्
Deleteबचपन से पढ़ते आ रहे हैं, बहुत प्रेरक रचना है...जब पढो अवसाद को दूर कर देती है...
ReplyDeleteनीरज
ji nirajji ,blog mein aney key liye dhanyawad
ReplyDeleteji nirajji ,blog mein aney key liye dhanyawad
ReplyDeleteAapke blog par aana hua...Rachna amar hai...punah itni umda rachna padh kar houshla buland hua..
ReplyDeleteAapka bahut shukriya mere blog par aane kar tippani karne ke liye liye..Aapka sabhi pryaas safal rahe isi kaamna ke sath...
Arshad Ali
ji arshad ji ,dhanyawad dey blog parampara ko padney likhney valo ko ek sutr mein jod diya
Deleteमैं इसे दिनकर की रचना समझता था,सुरुचिपूर्ण ब्लॉग लेखन।
ReplyDeleteचलिए भ्रम दूर हुआ
Deletebahut honsla badhaati hui kavita hai pahle bhi padhi.aapke blog par pahli baar aai hoon achcha laga yaha aakar.
ReplyDeleteजी ,ब्लॉग में आने के लिए धन्यवाद्
ReplyDeleteअसफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
ReplyDeleteprerak kaviya bacchan ji ki....!!
आपका भी मेरे ब्लॉग मेरा मन आने के लिए बहुत आभार
ReplyDeleteआपकी बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना...
आपका मैं फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,......
मेरा एक ब्लॉग है
http://dineshpareek19.blogspot.in/
बिल्कुल सही है मैंने अपनी जिंदगी में इसे बहुत करीब से देखा है।।
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